ISRO के महत्वपूर्ण मील का पत्थर: भारतीय अंतरिक्ष संगठन की यात्रा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक प्रमुख स्थान दिलाया है। 1960 के दशक में, डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्व में इसरो की शुरुआत हुई, और यह भारतीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग में एक नई दिशा का संकेत था। इसरो ने अपनी यात्रा में कई ऐतिहासिक मील के पत्थर स्थापित किए हैं, जो न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण रहे हैं। ISRO ने शुरुआती दिनों में अंतरिक्ष विज्ञान और उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन इसके बाद भारत ने स्वदेशी तकनीकों से अंतरिक्ष में अभूतपूर्व सफलता हासिल की। इसरो के उपग्रह प्रक्षेपण, अंतरग्रही मिशन और मानव अंतरिक्ष यात्रा जैसे कार्यों ने दुनिया भर में भारत की वैज्ञानिक क्षमता को साबित किया है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल विज्ञान में आगे बढ़ना है, बल्कि यह भारत की आर्थिक और सामरिक शक्ति को भी सुदृढ़ करना है। ISRO ने अपनी सफलता के साथ दुनिया के अन्य देशों के साथ सहयोग की नई राहें भी खोली हैं, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की वैश्विक महत्वपूर्णता को दर्शाता है। आज, ISRO सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में अंतरिक्ष अनुसंधान के एक अहम स्तंभ के रूप में जाना जाता है।
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सामग्री सूची (Table of Contents)
- भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत (1960s)
- पहले स्वदेशी उपग्रह (1980)
- PSLV और GSLV रॉकेट्स (1990s - 2000s)
- चंद्रयान-1 (2008)
- मंगलयान (मंगल मिशन) (2013)
- चंद्रयान-2 (2019)
- GSAT उपग्रह और उपग्रह प्रक्षेपण (2000s - 2020s)
- स्पेस डॉकिंग (स्पेडेक्स मिशन)
- चंद्रयान-3 (2023)
- गगनयान (मानव मिशन)
- इसरो के चंद्र मिशन
- इसरो के सौर मिशन
- इसरो के अंतरग्रही मिशन
- इसरो के खगोलशास्त्र मिशन
- इसरो के आगामी मिशन
- निष्कर्ष
- सामान्य प्रश्न (FAQs)
1. भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत (1960s)
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम 1960 के दशक में शुरू हुआ था। डॉ. विक्रम साराभाई की कल्पनाशक्ति और नेतृत्व में, भारत ने अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखी। उनकी अध्यक्षता में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना 15 अगस्त 1969 को हुई थी। उनके नेतृत्व में इसरो ने भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान देना शुरू किया।
1963 में भारत ने अपनी पहली रॉकेट लॉन्चिंग के लिए थुम्बा लॉन्चिंग स्टेशन स्थापित किया, जो अब तिरुवनंतपुरम में स्थित है। भारत के पहले रॉकेट को नासा से प्राप्त किया गया था, और इसकी मदद से भारत ने अंतरिक्ष में अपनी यात्रा शुरू की। इसरो के लिए यह एक ऐतिहासिक शुरुआत थी, जिसने भारत को अंतरिक्ष यात्रा में एक नए युग में प्रवेश दिलाया।
महत्वपूर्ण घटनाएँ:
- 1969 में डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्व में इसरो की स्थापना।
- 1975 में आर्यभट्ट उपग्रह का प्रक्षेपण, जो सोवियत संघ (अब रूस) द्वारा प्रक्षिप्त किया गया था, और यह भारत का पहला उपग्रह था।
- 1980 में भारत ने अपने पहले स्वदेशी उपग्रह रोहिणी को लॉन्च किया, जो भारत की तकनीकी क्षमता का प्रतीक था।
2. पहले स्वदेशी उपग्रह (1980)
1980 में भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह रोहिणी लॉन्च किया। यह उपग्रह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था क्योंकि यह भारत की स्वदेशी अंतरिक्ष तकनीकी विकास में एक नया अध्याय जोड़ता था। रोहिणी को SLV-3 (Satellite Launch Vehicle) के द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया। इस उपग्रह ने न केवल भारतीय वैज्ञानिकों की तकनीकी क्षमताओं को साबित किया, बल्कि यह भारत को अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने वाला था।
रोहिणी का सफल प्रक्षेपण भारत की स्वदेशी रॉकेट प्रौद्योगिकी के लिए एक बड़ी सफलता थी। यह मिशन इसरो के लिए एक नया युग लेकर आया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की क्षमता को प्रदर्शित किया।
3. PSLV और GSLV रॉकेट्स (1990s - 2000s)
इसरो ने 1990 के दशक में अपनी अंतरिक्ष प्रक्षेपण क्षमता को और मजबूत किया। भारतीय रॉकेट प्रक्षेपण प्रणालियाँ, जैसे PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) और GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle), इस दशक के अंत तक पूरी दुनिया में एक महत्वपूर्ण पहचान बन गईं।
- 1999 में PSLV-C1 द्वारा IRS-P3 उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया, जिससे भारत की रॉकेट प्रक्षेपण क्षमता को एक नई पहचान मिली।
- 2001 में PSLV-C3 द्वारा INSAT-3B उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया, जो भारत के दूरसंचार और मौसम विज्ञान में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- 2008 में PSLV-C11 द्वारा चंद्रयान-1 को चंद्रमा की ओर लॉन्च किया गया। यह मिशन इसरो के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि था, क्योंकि इसने चंद्रमा पर पानी के प्रमाण की खोज की।
PSLV की सफलता ने इसरो को अंतरराष्ट्रीय उपग्रह लॉन्च सेवा प्रदान करने की क्षमता दी, और इसके परिणामस्वरूप इसरो ने कई अन्य देशों के उपग्रहों को लॉन्च किया। इसके बाद GSLV रॉकेट के सफल प्रक्षेपण ने भारत को उच्च-ऊर्जा अंतरिक्ष मिशनों के लिए भी सक्षम बना दिया।
4. चंद्रयान-1 (2008)
चंद्रयान-1 भारत का पहला चंद्र मिशन था, जिसे 22 अक्टूबर 2008 को PSLV-C11 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर पानी के अंशों का पता लगाना था, जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण था।
चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी के अंशों के संकेतों की खोज की, जो एक बड़ी वैज्ञानिक सफलता थी। चंद्रयान-1 की सफलता ने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख अंतरिक्ष शोधकर्ताओं के बीच एक नया स्थान दिलाया। यह मिशन इसरो के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसने भारत को चंद्रमा के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर प्रदान किया।
5. मंगलयान (मंगल मिशन) (2013)
2013 में, इसरो ने मंगलयान (Mangalyaan) को लॉन्च किया, जो भारत का पहला मंगल मिशन था। इस मिशन ने भारत को दुनिया के सबसे सस्ते मंगल मिशन को भेजने वाला देश बना दिया। मंगलयान का मुख्य उद्देश्य मंगल ग्रह की सतह और वातावरण का अध्ययन करना था।
भारत ने इस मिशन को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह तक पहुँचाया, और भारत दुनिया का पहला देश बन गया जिसने अपनी पहली ही कोशिश में मंगल ग्रह तक पहुँचने में सफलता पाई। यह मिशन न केवल भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक कदम था, बल्कि पूरी दुनिया में भारत की अंतरिक्ष यात्रा की क्षमता का प्रमाणीकरण भी था।
6. चंद्रयान-2 (2019)
चंद्रयान-2 मिशन इसरो के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम था। यह मिशन चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग और रोवर को चंद्रमा की सतह पर भेजने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था। हालांकि, लैंडर विक्रम का संपर्क चंद्रमा की सतह पर उतरने से पहले टूट गया, लेकिन इस मिशन ने बहुत सारी नई तकनीकी उपलब्धियाँ हासिल की, जिनका उपयोग भविष्य के मिशनों में किया जाएगा।
चंद्रयान-2 मिशन के अंतर्गत चंद्रमा की सतह पर अध्ययन करने के लिए कई वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग किया गया था। यह मिशन इसरो के लिए सीखने का एक महत्वपूर्ण अनुभव था, और इसके परिणामस्वरूप इसरो भविष्य में और अधिक सफल मिशन भेजने के लिए बेहतर तैयार हुआ है।
7. GSAT उपग्रह और उपग्रह प्रक्षेपण (2000s - 2020s)
GSAT (Geosynchronous Satellite) उपग्रहों की श्रंखला ने इसरो के उपग्रह प्रक्षेपण कार्यक्रम को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। इन उपग्रहों ने भारत में संचार, मौसम विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में सुधार लाने में मदद की।
- GSAT-6 और GSAT-15 जैसे उपग्रहों ने भारत में दूरसंचार सेवाओं को बेहतर बनाया।
- GSAT-30 जैसे उपग्रहों ने भारत की अंतरराष्ट्रीय उपग्रह संचार सेवाओं को भी सशक्त किया।
- INSAT और IRS जैसे उपग्रहों ने मौसम, आपदा प्रबंधन और कृषि सहित कई क्षेत्रों में डेटा एकत्र करने का कार्य किया।
इन उपग्रहों की मदद से भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं में एक बड़ा कदम उठाया।
8. स्पेस डॉकिंग (स्पेडेक्स मिशन)
स्पेडेक्स मिशन (Space Docking Experiment) इसरो के लिए एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। इस मिशन के तहत, भारत ने अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक जोड़ने की प्रक्रिया का परीक्षण किया। यह कार्य पहले केवल अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों द्वारा किया जाता था। इस मिशन ने भारत को अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला देश बना दिया।
स्पेडेक्स मिशन ने भारत को अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक में विशेष स्थान दिलाया और भविष्य के मिशनों, जैसे चंद्रयान-4 और गगनयान के लिए नई संभावनाओं का मार्ग खोला।
9. चंद्रयान-3 (2023)
चंद्रयान-3 मिशन इसरो के लिए एक ऐतिहासिक सफलता थी। यह मिशन 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया था, और 23 अगस्त 2023 को इसका लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और रोवर की जांच करना था। चंद्रयान-3 की सफलता ने भारत को चंद्रमा पर सुरक्षित लैंडिंग करने वाले देशों में शामिल किया।
चंद्रयान-3 के लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा एकत्र किया, जिससे चंद्रमा के पानी के स्रोतों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त हुई।
10. गगनयान (मानव मिशन)
गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसे ISRO और HAL द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष में मानव को भेजने वाले देशों की सूची में शामिल कराएगा। गगनयान 1 मिशन की योजना फरवरी 2025 में अनक्रूड टेस्ट फ्लाइट के रूप में की गई है।
गगनयान मिशन में तीन अंतरिक्ष यात्री होंगे, जो अंतरिक्ष में भारतीय मानव अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत करेंगे। इसके बाद गगनयान 2 और गगनयान 3 मिशनों का अनुसरण किया जाएगा, जिनमें क्रमशः अनक्रूड और क्रूड मिशन शामिल होंगे।
11. इसरो के चंद्र मिशन
चंद्रयान कार्यक्रम इसरो का एक प्रमुख मून मिशन है।
- चंद्रयान-1 ने चंद्रमा के पानी के अंशों की खोज की।
- चंद्रयान-2 चंद्रमा पर उतरने में असफल रहा, लेकिन इसकी कक्षीय जांच में सफलता प्राप्त हुई।
- चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की, और इसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र का अध्ययन करना था।
आगे के मिशन:
- चंद्रयान-4: एक sample return मिशन।
- लunar Polar Exploration Mission: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र का अध्ययन।
12. इसरो के सौर मिशन
इसरो का अदित्य-L1 मिशन भारत का पहला सौर मिशन है, जो सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेगा। यह मिशन सितंबर 2023 में लॉन्च किया गया और 2024 के शुरुआत में अपनी अंतिम कक्षा में प्रवेश कर चुका है।
आगे के मिशन:
- अदित्य-L1: सूर्य के अध्ययन के लिए एक प्रमुख मिशन।
13. इसरो के अंतरग्रही मिशन
भारत ने मार्स ऑर्बिटर मिशन (Mangalyaan) के बाद मंगल मिशन 2 (MOM-2) और Venus Orbiter मिशन की योजनाएँ बनाई हैं। इसरो ने इन मिशनों के माध्यम से अंतरग्रही यात्रा की संभावनाओं को और अधिक विस्तृत किया है।
14. इसरो के खगोलशास्त्र मिशन
भारत ने ASTROSAT और XPoSat जैसे मिशनों के माध्यम से अंतरिक्ष में खगोलशास्त्र और एक्स-रे अध्ययन किया।
15. इसरो के आगामी मिशन
इसरो के आगामी मिशन जैसे गगनयान, निसार, चंद्रयान-4 और मार्स लैंडर मिशन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका को और मजबूत करेंगे।
16. निष्कर्ष
इसरो ने अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में कई महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। भारत ने अपने अंतरिक्ष मिशनों के माध्यम से दुनिया में अपनी एक मजबूत पहचान बनाई है और इसरो का भविष्य और भी उज्जवल है।
इसरो ने पिछले कई दशकों में अपने अभूतपूर्व प्रयासों से अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत को एक वैश्विक शक्ति बना दिया है। डॉ. विक्रम साराभाई के दृष्टिकोण से शुरू हुआ यह सफर आज अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और अनुसंधान में देश की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक बन चुका है। इसरो के सफल मिशनों ने भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता को न केवल वैश्विक स्तर पर प्रमाणित किया है, बल्कि भारतीय समाज को भी तकनीकी नवाचारों और विज्ञान में अग्रणी बनने की दिशा में प्रेरित किया है।
चंद्रयान, मंगलयान, गगनयान, और अन्य अंतरिक्ष मिशनों ने इसरो को न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में एक मजबूत पहचान दिलाई है। इन मिशनों से न केवल वैज्ञानिक ज्ञान बढ़ा है, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की वैश्विक भूमिका भी सुदृढ़ हुई है। आने वाले वर्षों में, इसरो के आगामी मिशन जैसे चंद्रयान-4, गगनयान और सूर्य मिशन जैसी योजनाएँ भारत को और भी नई ऊँचाइयों तक ले जाएंगी।
इसरो का भविष्य उज्जवल है, और यह भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देता रहेगा। भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम न केवल हमारे देश के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगा।
सामान्य प्रश्न (FAQs)
ISRO ने अपने पहले मंगल मिशन के लिए कौन सी तकनीकी चुनौती का सामना किया था?
- ISRO को मंगलयान मिशन में मुख्य रूप से मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने की चुनौती का सामना करना पड़ा, क्योंकि मंगल का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से कम होता है।
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ISRO का पहला अंतरग्रही मिशन कौन सा था?
- ISRO का पहला अंतरग्रही मिशन 'मार्स ऑर्बिटर मिशन' (Mangalyaan) था, जिसे 2013 में लॉन्च किया गया था।
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क्या ISRO का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा?
- हाँ, ISRO अपने अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण पर विचार कर रहा है, जो भविष्य में अंतरिक्ष में मानव अंतरक्रियाओं को बढ़ावा देगा।
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ISRO ने चंद्रयान-3 के लैंडर के रूप में किस नाम का चयन किया था?
- ISRO ने चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम 'विक्रम' रखा था, जो भारतीय वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई के सम्मान में था।
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ISRO ने कितने देशों के उपग्रहों को एक साथ लॉन्च किया है?
- ISRO ने 2017 में अपने 'PSLV-C37' मिशन के तहत 104 उपग्रहों को एक साथ लॉन्च किया, जिसमें 96 विदेशी उपग्रह थे।
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क्या ISRO के पास अपनी अंतरिक्ष यात्रा की ट्रेनिंग केंद्र है?
- हाँ, ISRO ने बेंगलुरु में एक अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया है, जहाँ अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग दी जाती है।
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ISRO का सबसे सस्ता अंतरिक्ष मिशन कौन सा था?
- ISRO का सबसे सस्ता अंतरिक्ष मिशन 'मंगलयान' था, जिसे केवल 450 करोड़ रुपये की लागत में लॉन्च किया गया था।
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क्या ISRO के पास सौर ऊर्जा से संबंधित मिशन है?
- हाँ, ISRO ने 'अदित्य-L1' मिशन के जरिए सूर्य के अध्ययन के लिए एक सौर ऊर्जा मिशन लॉन्च किया है।
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ISRO के पास कौन सा प्रमुख सैटेलाइट प्रणाली है?
- ISRO के पास 'INSAT' (Indian National Satellite System) और 'IRS' (Indian Remote Sensing Satellites) जैसे प्रमुख सैटेलाइट प्रणालियाँ हैं।
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ISRO ने चंद्रयान-1 मिशन में पानी की उपस्थिति को कैसे प्रमाणित किया?
- चंद्रयान-1 ने चंद्रमा के गहरे क्षेत्रों में पानी के अंशों के संकेतों की खोज की, जो 'M3' उपकरण द्वारा किया गया था।
- क्या ISRO का कोई प्राइवेट अंतरिक्ष मिशन है?
- वर्तमान में ISRO प्राइवेट अंतरिक्ष मिशनों के साथ साझेदारी कर रहा है, लेकिन इसका अपना कोई पूर्ण प्राइवेट मिशन नहीं है।
- क्या ISRO ने कभी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में सहयोग किया है?
- ISRO ने कभी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के साथ सीधे सहयोग नहीं किया है, लेकिन कई अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों के तहत उपग्रहों और प्रक्षेपणों में योगदान दिया है।
- ISRO के किस मिशन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की?
- ISRO ने 'चंद्रयान-3' मिशन के द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी।
- ISRO के कितने रॉकेट परिवार हैं?
- ISRO के पास मुख्य रूप से तीन रॉकेट परिवार हैं: SLV, PSLV, और GSLV।
- क्या ISRO ने भविष्य में मून सैटेलाइट लैंडिंग के लिए योजना बनाई है?
- हाँ, ISRO का 'चंद्रयान-4' मिशन चंद्रमा पर सैंपल रिटर्न मिशन के रूप में योजना बनाई गई है।
- क्या ISRO ने कभी मून के अंडरग्राउंड पानी का अध्ययन किया है?
- चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी के अंशों के संकेतों का पता लगाया था, लेकिन अंडरग्राउंड पानी का अध्ययन अगले मिशनों द्वारा किया जाएगा।
- ISRO का सबसे पहला अंतरराष्ट्रीय सहयोग किस देश के साथ था?
- ISRO का पहला अंतरराष्ट्रीय सहयोग रूस (पूर्व सोवियत संघ) के साथ था, जिसके तहत 1975 में भारत का पहला उपग्रह 'आर्यभट्ट' लॉन्च किया गया था।
- क्या ISRO ने किसी अन्य ग्रह पर जीवन की तलाश के लिए मिशन भेजा है?
- ISRO का 'मार्स ऑर्बिटर मिशन' मंगल ग्रह पर जीवन के संकेतों का अध्ययन कर रहा है, लेकिन अभी तक जीवन की पुष्टि नहीं हुई है।
- क्या ISRO ने किसी सैटेलाइट की सौर ऊर्जा से संबंधित कोई खोज की है?
- ISRO ने 'अदित्य-L1' मिशन के माध्यम से सूर्य के कोरोना और अन्य सौर घटनाओं का अध्ययन किया है।
- क्या ISRO ने अंतरिक्ष में प्राकृतिक आपदाओं के लिए कोई मिशन शुरू किया है?
- हाँ, ISRO ने मौसम विज्ञान, कृषि और आपदाओं के लिए 'INSAT' और 'IRS' जैसे सैटेलाइट्स लॉन्च किए हैं, जो प्राकृतिक आपदाओं के बारे में डेटा एकत्र करते हैं।